Tuesday, November 7, 2017

काल एवं काल के भेद - हिन्दी व्याकरण।


● काल (Tense)

क्रिया के जिस काल रूप से उसके होने का बोध होता है उसे काल कहते हैं ।

● काल के तीन भेद हैं-

1. भूत काल
2. वर्तमान काल
3. भविष्य काल

काल के भेदों का विवरण-

1. भूतकाल -

क्रिया के जिस रूप से बीते हुए समय (अतीत) में कार्य होने का बोध हो वह भूतकाल कहलाता है ।
जैसे-

(i) बच्चा गया ।
(ii) बच्चा गया है ।
(ii) बच्चा जा चुका था ।

ये सब भूतकाल की क्रियाएँ हैं क्योंकि ‘गया’, ‘गया है’, ‘जा चुका था’ क्रियाएँ भूतकाल का बोध कराती है ।

भूतकाल के छह भेद हैं-
(i) सामान्य भूत
(ii) आसन्न भूत
(iii) अपूर्ण भूत
(iv) पूर्ण भूत
(v) संदिग्ध भूत और
(vi) हेतुहेतुमद भूत

(i) सामान्य भूत – क्रिया के जिस रूप से (या, ये, यी, चुका, चुकी, चुके) का बोध होता है, वह सामान्य भूत है ।
जैसे- बच्चा गया । श्याम ने पत्र लिखा ।

(ii) आसन्न भूत- क्रिया के जिस रूप से अभी-अभी (या है, ये है, यी है या चुका है, चुकी है, चुके है) निकट भूतकाल में
क्रिया का होना प्रकट हो, वह आसन्न है।
जैसे- निशांत गया है । सुधा आई है ।

(iii) अपूर्ण भूत- क्रिया के जिस रूप से- रहा था, रही थी, रहे थे – का बोध हो ।
जैसे-रामू आ रहा था ।

(iv) पूर्ण भूत- क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य समाप्त हुए बहुत समय बीत चुका है उसे पूर्ण भूत कहते हैं । यानी आया था, आयी थी, आये थे, चुका था, चुकी थी, चुके थी- क्रिया के साथ लगे तो समझ लीजिए की वाक्य पूर्ण भूत है ।
जैसे- बच्चा आया था ।

(v) संदिग्ध भूत- क्रिया के जिस रूप से भूतकाल का बोध तो हो किन्तु कार्य के होने में संदेह हो वहाँ संदिग्ध भूत होता है।
जैसे- श्याम ने पत्र लिखा होगा ।

(vi) हेतुहेतुमद भूत- क्रिया के जिस रूप से बीते समय में एक क्रिया के होने पर दूसरी क्रिया का होना आश्रित हो ।
जैसे- यदि सुधा ने कहा होता तो मैं अवश्य जाता ।

2. वर्तमान काल -

इसमें क्रिया का आरंभ हो चुका होता है लेकिन समाप्ति नहीं होती। दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से कार्य का वर्तमान काल में होना पाया जाए उसे वर्तमान काल कहते हैं ।
जैसे- भक्त माला फेरता है ।

वर्तमान काल के तीन भेद हैं-
(i) सामान्य वर्तमान
(ii) अपूर्ण वर्तमान
(iii) संदिग्ध वर्तमान

(i) सामान्य वर्तमान – क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य वर्तमान काल में सामान्य रूप से होता है वहाँ सामान्य वर्तमान होता है।
जैसे- बाबू रोता है ।

(ii) अपूर्ण वर्तमान – क्रिया के जिस रूप से यह बोध हो कि कार्य अभी चल ही रहा है, समाप्त नहीं हुआ है वहाँ अपूर्ण वर्तमान होता है।
जैसे- यज्ञ स्कूल जा रहा है ।

(iii) संदिग्ध वर्तमान – क्रिया के जिस रूप से वर्तमान में कार्य के होने में संदेह का बोध हो वहाँ संदिग्ध वर्तमान होता है ।
जैसे- रमेश इस समय खाता होगा ।

3. भविष्य काल -

क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि कार्य भविष्य में होगा वह भविष्यत काल कहलाता है।
जैसे- यज्ञ स्कूल जाएगा ।

भविष्य काल के दो भेद हैं-
(i) सामान्य भविष्यत
(ii) संभाव्य भविष्यत

(i) सामान्य भविष्यत – क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने का बोध हो उसे सामान्य भविष्यत कहते हैं ।
जैसे- हम घूमने जाएँगे ।

(ii) संभाव्य भविष्यत – क्रिया के जिस रूप से कार्य के भविष्य में होने की संभावना का बोध हो वहाँ संभाव्य भविष्यत होता है ।
जैसे- शायद वह दिन आए ।
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